मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी जाऊ
मैं तेरे अहसानों से ऊबर भी जाऊ
तो, मेरा वजूद क्या है।
मैं देखता हूँ खुद को आसमान मे
मगर, मेरा जमीर जमीन पर क्यो है।
वो चमकता चाँद आसमान में
मगर, उसका जिक्र जमीन पर क्यों है।
हे कुछ रिश्ते ऐसे भी
ना, होते हुये भी
उनका अहसास
हमें, होता क्यो है।
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🍀 स्वामी गंगानिया 🍀