मैं तुलसी तेरे आँगन की
मैं तुलसी तेरे आँगन की
घर आँगन की बगिया महकी ,
शुद्ध पवित्र हरी तुलसी मंजरी ,
विष्णु प्रिया संग तुलसी महारानी ,
शालिग्राम संग ब्याह रचाती ,
शुचित मन शोभित घर आँगन की
जीवन निर्मल पावन धरा करती ,
दया प्रेम करुणा वात्सल्य बहाती,
पूजन अर्पण सर्वस्व स्वीकारती,
शुद्ध प्राण वायु शक्ति मुक्ति देती ,
जन मन धन सुखदात्री की।
राम श्याम विष्णु प्रिया पत्तियाँ ,
नित्य शालिग्राम पे तुलसी चढती,
रोग शोक विध्न बाधा दूर करती,
तुलसी सींचन पूजन सौभाग्य देती
सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग की।
नटखट श्याम दूल्हा बने हुए ,
माथे मोर मुकुट मंजरी सोहे ,
गले वैजयंती माला विराजे ,
विष्णु तन पीताम्बर सोहे ,
तुलसी की बेंदी चमकी चुनरी ओढ़ी ली मनभावन की ।
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️