मैं तुम हम
** मैं-तुम-हम **
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तुम बिना मैं नहीं,
मैं बिना तुम नहीं।
मैं -तुम से हम हैं,
हम से मैं-तुम हैं।
जब से मैं-तुम-हम,
फिर है कैसा गम।
हम ही से है दम,
न किसी से हैं कम।
हम गर संग – संग,
बदले रंग – ढंग।
नहीं कहीं मैं-तुम,
रहेंगे सदा हम।
जिन्दगी संक्षिप्त,
मैं तुम नहीं रिक्त,
प्रीत की हो लग्न,
कभी ना हो जलन
सुनो प्रेम की धुन,
राह प्रेम की चुन।
ना हो वाद-विवाद,
मधुर हो संवाद।
मधु जीवन-उमंग,
देख हों सब दंग।
मनसीरत हम दम,
ना हो कोई गम।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)