मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
सृजक पालक संघारक तुम
सत,रज व तम के कारक तुम
तुम ब्रह्म, अण्ड, तुम ब्रह्माण्ड
स्थूल, सूक्ष्म विस्तारक तुम
तुम पुरुष तुम्हीं प्रकृति हो
तुम ही सत् चित् आनन्द लिखूँ!
मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
तुम काल, कर्म, तुम ही स्वभाव
मायापति, माया का प्रभाव
तुम क्षोभ, रूप तुम महत्तत्व
तुम ज्ञान, क्रिया तुम अहंभाव
तुम ही विकार,तुम निर्विकार
तुम नित्ययुक्त ,स्वछन्द लिखूँ।
मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
तुम कार्य, कारक तुम कारण हो
नर, नार, तुम्हीं नारायण हो
तुम वेद,शास्त्र तुम ही पुराण
धर्म, व्रत, यज्ञ, पारायण हो
तुम दृष्टा ,दृश्य ,आकाश तुम्हीं
तुम नद ,वायु , स्पन्द लिखूँ!
मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
इन्द्रिय, पदार्थ, स्फूर्ति तुम्हीं
रिद्धि-सिद्धि, रिक्ति पूर्ति तुम्हीं
तेज, ओज, बल, शक्ति , स्पर्श
योग, ज्ञान, शब्द, मूर्ति तुम्हीं
घ्राण ,त्वचा, चक्षु,जिह्वा,श्रोत
जल,पृथ्वी, रस, गन्ध लिखूँ!
मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ?
तुम सात लोक,सातों पाताल
तुम पाद,हस्त तुम वाक्जाल
तुम जनन,बुद्धि, सुर,सरीसृप
तुम पशु, पक्षी,भूधर विशाल
तुम शंकर, ब्रह्मा,विष्णु ,सहस्र
तुम वृक्ष, अन्न,मकरन्द लिखूँ!
मैं तुम पर क्या छन्द लिखू?
✍ नंदन पंडित