मैं तुम्हें यूँ ही
मैं तुम्हें यूँ ही
प्यार नहीं करता…
मेरे हर दिन का उजाला हो
तुम मेरी हर रात की चाँदनी
मेरे जज्बातों का नूर हो तुम
तुम से ही तो है
मेरी सांसो की रवानगी
तुम्हारी बांहें
मेरे लिए दुनिया की
सबसे महफूज जगह,
तुम्हारी धडकनों का शोर
मेरा पसंदीदा संगीत
काश तुम समझ पाते
मेरे अनकहे शब्दो को
मेरे प्रेम को,
तो ये अहसास
अल्फाजों, स्याही
कलम और काग़ज़ के
मोहताज ना होते..
तुम मेरे पास, मेरे साथ होते
हिमांशु कुलश्रेष्ठ