मैं तुम्हारा ही लाल कहलाऊंगा,…
माना की मैं तुम्हारे घर चोरी से आया,
परंतु तुमने मुझे अपने जीवन का अंग बनाया।
बाबा ने अपना पुत्र समझ मुझपर स्नेह लुटाया,
और मैया ने अपना रक्त पीला कर पोषित किया ।
बाबा का प्यार और मैया की ममता मिली अपार ,
मेरा नन्हा जीवन पल्लवित और पुष्पित हुआ ।
संभव है मैने अपने बालपन से किशोरावस्था तक ,
कुछ त्रुटियां भी की होंगी ,अपराध भी किया ।
तुमने मेरे कारण गांव वालों से उलाहने सुने होंगे ,
और गोपियों के तानों / शिकायतों ने परेशान किया ।
परंतु फिर भी बाबा और मैया ,तुमने सबकुछ सहा ,
मुझको सदा क्षमा किया और हस कर भुला दिया।
मैं तुम्हारे जीवन का आधार भी था और जीवन धन ,
मेरे इर्द गिर्द तुमने खुशियों का संसार था बसाया ।
तुमने मुझ पर असंख्य उपकार किया मां बाबा !
मुझको पुत्र होने केअधिकार देकर सम्मानित किया ।
इतना जीवन तुम्हारी छत्र छाया में कब बीत गया,
वास्तव में मुझे यह पता ही कहां चल पाया।
अब जा रहा हूं मथुरा ,क्या कहूं दिल का अपने हाल!
मन बहुत व्यथित है ,अपनी विवशता से हार मैं गया ।
मुझे तुमने जीवन के अब तक सारे सुख दिए हैं ,
फूलों की शैय्या में तुमने पालन पोषण किया ।
परंतु अब जिस पर चलना है वो है कांटों भरी राह ,
जब भी चुभेगा कोई कांटा तुम्हारा प्यार याद आयेगा।
कर्तव्य पथ की राह सरल तो नही होती ना मां बाबा!
छोड़ के तुम्हारा स्नेह।मुझे कहां सुख मिल पाएगा।
मैं जा तो रहा हूं परंतु एक वचन देकर जा रहा हूं,
मुझे जीवन में जब भी याद करोगे,मैं अवश्य आऊंगा।
मुझे बेशक देवकी और वासुदेव ने जन्म दिया हो ,
मगर यह अटूट सत्य है पुत्र तो मैं तुम्हारा ही कहलाऊंगा ।