“मैं तुम्हारा रहा”
इश्क़ हमारा अमर कर के अपनी कविताओं में, मैं तुम्हारा रहा,
खो ना जाओ तुम दुनिया की भीड़ कहीं, तुम्हारी यादों को धागे में पिरो के मैं तुम्हारा रहा,
मुझे पागल कहो या दीवाना
मैं पागल दीवाना तुम्हारा रहा,
ख़त्म हो गया है सब, मैं ज़िंदा हो कर भी मारा हुआ हूँ,
पर मेरा एक हिस्सा मेरा प्यार तुम्हारा रहा,
ख़्वाबो में तुम्हें रोज़ मिलता हूँ,
जुल्फों की छाओं में तुम्हारी खो जाता हूँ, काजल में तुम्हारे छुप जाता हूँ, मेरा इश्क़ शायद अब ख़्वाबो तक रहा, इस कदर मैं तुम्हारा रहा,
सच्चा कहो या झूठा, बेवफ़ा कहो या वफ़ा, फिर भी मैं तुम्हारा रहा,
इश्क़ है ऐसा कुछ मेरा
जुदा हो कर भी मैं बस तुम्हारा रहा,
ढूंढ़ने मुझे कभी निकलो तो आसमां की और देखना, सितारा बन तुम्हारी एक ख्वाहिश के लिए टूट जाऊंगा,
क्योंकि मेरे चंदा मैं तुम्हारा रहा।
लोहित टम्टा❤️