मैं तुमसे प्रीत लगा बैठी
तू चाहें चंचलता कह ले,
तू चाहें दुर्बलता कह ले,
दिल ने जो मजबुर किया , मैं तुझसे प्रीत लगा बैठी।।
ये प्यार दिए का तेल नहीं , दो चार घड़ी का खेल नहीं
ये तो कृपाण की धारा है कोई गुड़ियों का खेल नहीं
तू चाहें नादानी कह ले , चाहें मन मानी कह ले।
मैंने जब भी रेखा खींची , तेरी तस्वीर बना बैठी
मै जातक हूं तू बादल है, मै लोचन हूं तू काजल है।
मैं आंसू हूं ,तू आंचल हैै
और तू चाहें तो दीवाना कह ले, या अल्हर मस्ताना कह ले ।।
जिसने मेरा परिचय पूछा , मै तेरा नाम बता बैठी
मै तुझसे प्रीत लगा बैठी ।।
दुनिया ने जो भी दर्द दिया , मै तेरा गीत बना बैठी ।।
मैं तुझसे प्रीत लगा बैठी ।।
मैं अब तक जान न पाई हूं
क्यों तुझसे मिलने आई हूं
तू मेरे दिल की धड़कन में , मै तेरी दर्पण छाया हूं
तू चाहे तो कोई सपना कह ले
मैं जिस पथ पर भी चल निकली
तेरे ही दर पर जा बैठी ।
मै तुझसे प्रीत लगा बैठी।।।
✍️✍️✍️✍️ Ray’s Gupta @ ray’s Gupta