मैं तुझे चाहता हूं
मैं तुझे चाहता हूं,
पर तू मुझे चाहती की नहीं, मुझे मालूम नहीं।
मैं तुझे प्यार करता हूं,
पर तू मुझे करती है की नहीं, मुझे मालूम नहीं।।
दिल की आहट मुस्कुराहट से बताता हूं,
पर तू मुस्कुराती की नहीं, मुझे मालूम नहीं।
इशारा तो मेरा साफ है,
पर इशारा तुम समझती की नहीं, मुझे मालूम नहीं।।
न जाने कितने दिनों से मैं तुझे अपनी यादों में बसाया हूं,
पर तू मुझे अपनी यादों में बसाई की नहीं, मुझे मालूम नहीं।
बहुत दिनों से तेरे लिए सपने सजाया हूं,
पर तू सपना सजाई की नहीं, मुझे मालूम नहीं।।
चाहता हूं की तु मेरी होजा,
पर तू चाहती की नहीं, मुझे मालूम नहीं।
जी करता की आई लव यू बोलदु,
पर तू बोलेगी की नहीं, मुझे मालूम नहीं।।
जिस दिन तुझे पता चलेगा कि मैं तेरा दीवाना हूं,
उस दिन मेरी दीवानगी अपनावोगी की नहीं, मुझे मालूम नहीं।
कुछ भला बुरा कहोगी मेरे बारे में पता है,
पर तू अच्छा कहोगी की नहीं, मुझे मालूम नहीं।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳