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12 Feb 2021 · 1 min read

मैं तनहाई का साथी हूँ..

मैं तनहाई का साथी हूँ…
तेरी याद में अब बस जीता हूँ…..
कहीं मिटता हूँ…
कहीं मिटाता हूँ…
कुछ ऐसे पल में जीता हूँ….
.
एक क्षितिज तक मैं भी पहूँचा था कभी…
इंतजार था जिसका सदीयों से मुझे…
मिल जाएगा दर्द एक बार फिर….
ऐतबार में जीता था…
कोशिश नहीं करनी हैं…
अब पाने की उसे मुझे…
चुपचाप बैठा रहा….
अपने ही भ्रम में जीता रहा….
कैसे कह देता…
ये क्षितिज …
दर्द भी तेरा मुझे सुकुन देता हैं….
मैं तनहाई का साथी हूँ…
तेरी याद में अब बस जीता हूँ…..
कहीं मिटता हूँ…
कहीं मिटाता हूँ…
कुछ ऐसे पल में जीता हूँ….
.
तू मिला …
ना मिला…
क्या फर्क हैं…
वक्त तो यहीं कहीं ठहर- सा हैं गया…
उम्र बढ़ती जाएगी…
तनहाई नशा छाता चला जाएगा…
एक ओंस की बूँद तो…
लबों तक पहूँची थी तेरे पास होने से…
फिर भी प्यासा ही मरने की …
ये कैसे मेरी जिद्द थी….
रहम करता रहा तेरी जिंदगी से…
यहीं मेरा करम था….
मैं तनहाई का साथी हूँ…
तेरी याद में अब बस जीता हूँ…..
कहीं मिटता हूँ…
कहीं मिटाता हूँ…
कुछ ऐसे पल में जीता हूँ….
#sapnaks

Language: Hindi
256 Views

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