Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2021 · 1 min read

मैं टूट चुका हूॅं !

मैं टूट चुका हूॅं !

हर तरफ हो रहे अत्याचार
देखकर अभद्र से व्यवहार
चारों दिशाओं के बॅंटाधार
मैं टूट चुका हूॅं, मैं टूट चुका हूॅं !

देख – देखकर तीक्ष्ण से प्रहार
सुनके व्यथित की चीख-पुकार
रो रहा ये देश, दुनिया, संसार
मैं टूट चुका हूॅं, मैं टूट चुका हूॅं !

व्यवहृत होते घिसे पिटे औज़ार
और कलम की जगह तलवार
बरसात की भयावह,भीषण बाढ़
मैं टूट चुका हूॅं , मैं टूट चुका हूॅं !

विलुप्त हो रहे आज सदाचार
नहीं है किसी को किसी से प्यार
हर तरफ हो रही कितनी लूटमार
मैं टूट चुका हूॅं , मैं टूट चुका हूॅं !

हर तरफ़ है गंदगी का ही अंबार
स्वच्छता तो दिखती कभी-कभार
हरेक प्राणी पड़ा है यहाॅं लाचार
कितने सारे तंत्र हो गए हैं बीमार
मैं टूट चुका हूॅं , मैं टूट चुका हूॅं !

कब पूरे होंगे मेरे सपनों का संसार
करूॅंगा स्वप्निल दुनिया का दीदार
मुझे बेसब्री से है इसका इंतज़ार
पर जल्द दिख न रहे कोई आसार
सचमुच,मैं टूट चुका हूॅं,मैं टूट चुका हूॅं !

कुछ ऐसे हैं मेरे सुंदर से विचार
कि हो जाएं सभी जन ही तैयार
करलें खुद से ही इक क़रार
मीठे बोल हों सबके हथियार
कभी ना हो कोई भी नरसंहार
ऐसा शुभ दिन आए बारंबार
तो मैं सबका ही करूॅं आभार
पर ना समझे जीवन का ये सार
चाहे वो कोई दुश्मन हो या यार
मैं टूट चुका हूॅं , मैं टूट चुका हूॅं !!

स्वरचित एवं मौलिक ।

© अजित कुमार कर्ण ।
***किशनगंज, बिहार***
“””””””””””””””””””””””””””””””””

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 634 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
Ajay Mishra
" कोशिश "
Dr. Kishan tandon kranti
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
Manisha Manjari
विचार ही हमारे वास्तविक सम्पत्ति
विचार ही हमारे वास्तविक सम्पत्ति
Ritu Asooja
हे अयोध्या नाथ
हे अयोध्या नाथ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
कवि 'घाघ' की कहावतें
कवि 'घाघ' की कहावतें
Indu Singh
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
Radha Bablu mishra
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
शिक्षित लोग
शिक्षित लोग
Raju Gajbhiye
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
जो क्षण भर में भी न नष्ट हो
PRADYUMNA AROTHIYA
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
परिवर्तन चाहिए तो प्रतिवर्ष शास्त्रार्थ कराया जाए
परिवर्तन चाहिए तो प्रतिवर्ष शास्त्रार्थ कराया जाए
Sonam Puneet Dubey
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
फल की इच्छा रखने फूल नहीं तोड़ा करते.
Piyush Goel
सेवा जोहार
सेवा जोहार
नेताम आर सी
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
पूर्वार्थ
एक झलक
एक झलक
Dr. Upasana Pandey
हाइकु .....चाय
हाइकु .....चाय
sushil sarna
मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
Phool gufran
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
कुछ शामें गुज़रती नहीं... (काव्य)
मोहित शर्मा ज़हन
हिंदी दोहे-पुरवाई
हिंदी दोहे-पुरवाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
2894.*पूर्णिका*
2894.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
There is no fun without you
There is no fun without you
VINOD CHAUHAN
#कुछ_भी_कहीं_भी_मतलब_बेमानी
#कुछ_भी_कहीं_भी_मतलब_बेमानी
*प्रणय*
राखी की यह डोर।
राखी की यह डोर।
Anil Mishra Prahari
ऐ दिल सम्हल जा जरा
ऐ दिल सम्हल जा जरा
Anjana Savi
राज्यतिलक तैयारी
राज्यतिलक तैयारी
Neeraj Mishra " नीर "
ना तुझ में है, ना मुझ में है
ना तुझ में है, ना मुझ में है
Krishna Manshi
Loading...