मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जाने में भी विश्वास नहीं करता लेकिन सम्मान सबका करता हूं। घर के बाकी लोग धार्मिक है। घर में पूजा पाठ होती है ।
मैं कोशिश करता हूं कि जो लोग पूजा पाठ करते है उन्हें
कोई दिक्कत ना हो । मेरी आस्था कमजोर है।
लेकिन जो लोग आस्थावान हैं उनकी आलोचना
नहीं करता। दूसरे धर्म की भी नहीं। हां, तंत्र-मंत्र
और आडंबर का विरोधी हूं। अक्सर इसके विरोध
में लिखता रहा हूं। मेरे दोस्त सभी जाति
और धर्म से हैं। उन्हें मैं अपने इसी रूप
में ठीक लगता हूं । आप भी अपने विचार को
सर्वोपरि रखिए हमेशा खुश रहिएगा ।
“श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई”
~विमल