मैं जीना चाहती हूँ
मैं जीना चाहती हूं।
परिन्दों सी उड़ना चाहती हूं।
अपने पंखों की उड़ान से गगन को मापना चाहती हूं
चिडियों सी चहकना चाहती हूं।
संगीत की धुन पर थिरकना चाहती हूं।
खुलकर हंसना चाहती हूं।
हवा सी बहना चाहती हूं।
घटाओ सी छा जाना चाहती हूं।
मेरी आँखें निर्दयता से दबा के न मीच देना
मैं आंखे खोलकर नई दुनिया देखना चाहती हूं
मेरी सांसों की लडियां तोड़कर मुझे न सुलाना
मैं जागकर सांसे लेना चाहती हूं।
समझकर गन्दगी सा मुझे किसी नाले में न बहा आना
मैं शीतल जल सी बहना चाहती हूं।
मुझे किसी कूड़े में मत फ़ेंक आना
कीड़े मकोड़ों का भोजन मत बनाना
मैं अपना जीवन सहेजना चाहती हूं।
चंचल से मन ये मेरा नन्हीं सी काया
दामिनी सी दमकना चाहती हूं।
बंद मुट्ठी में अपनी अनगिनत सपने
लेकर आई हूं।
सपनो को अपने साकार करना चाहती हूं।
पहचान मेरी न मिटा देना तुम
मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूं।
बनकर आत्मनिर्भर सबको दिख लाऊंगी
खड़े हो पैरों पर अपने चल जाऊंगी
इक मौका जीने का दे देना बस मुझे
नाम तुम्हारा रोशन करना चाहती हूं।
माथे का अपने कलंक न समझना मुझे
ललाट की तुम्हारे चमक बनना चाहती हूं।
मैं जीना चाहती हूं
परिन्दों सी उड़ना चाहती हूं।