मैं जिसे गाता-गुनगुनाता हूं
मैं जिसे गाता-गुनगुनाता हूं,
उस हसीना से आपको मिलाता हूं।
कत्थई सी हैं आंखे उनकी ,
मैं अक्सर उसी में घुल सा जाता हूं।
तू किसी समंदर से बहती जाती है,
मैं किसी तालाब सा सुख जाता हूं।
मिले थे तुम तो लगा जस्ने-बहार आ सा गया,
आंख खुलते ही दूर तुमसे खुद को पता हूं।
मैं तुझे पाने की कोशिश में,
तुझको खुद से हर दफा दूर पता हूं।