मैं जानती हूं
वह युवती पिछले तीन-चार माह से एक बुजुर्ग वृद्ध जिनकी उम्र लगभग 75 – 80 साल की रही होगी को लेकर मुझे नियमित रूप से दिखाने आती थी । मैं भी हर बार उसे ध्यानपूर्वक देखता था और अपनी राय देता था । मैं हर बार उसे उसके बुजुर्ग पिता की गंभीर हालत के बारे में भी आगाह कर देता था । इस बार जब फिर से मैंने उसे बताया कि आपके पिताजी की हालत बहुत गंभीर रहती है , ऐसी हालत में इनकी जान को भी खतरा है ।
तब वो मुझसे बोली
‘ डॉक्टर साहब एक बात बताऊं आपसे यह मेरे पिताजी नहीं हैं मेरे शौहर हैं । मैं नखलऊ की हूं , मुझे मालूम है ये कभी भी टें बोल सकते हैं । पहले इनका इलाज लखनऊ के विवेकानंद अस्पताल से चला करता था फिर मैंने सोचा कि इनका इलाज यही आपके यहां से शुरू कर दिया जाए , आज मैंने अपने आप को दिखाने के लिए एक और मेरा पर्चा भी बनवाया है । मुझे प्रेगनेंसी है कृपया आप आज से मुझे भी देख लिया करें । डॉक्टर साहब आप इनको बढ़िया से बढ़िया दवा और मुझको भी अच्छी से अच्छी दवा लिखिए और पैसे की कोई भी चिंता मत कीजिए , पैसा इनके पास बहुत है । आज से हम दोनों का इलाज आपके यहां से ही चला करेगा ।
बाद में मैंने उससे किसी अगली बार आने पर पूछा कि इन्होंने तुम्हारे भविष्य का कोई पुख्ता इंतजाम कर दिया है ?
वह बोली नहीं इस बात के लिए इनके घर के अन्य सदस्य और इनके लड़के बहुत झगड़ा करते हैं और मुझसे विरोध रखते हैं , मुझे एक पैसा नहीं देने देते हैं। मुझसे कहते हैं कि तुम इस घर से चली जाओ ।
इस घटना के बाद भी कुछ माह तक वह दंपत्ति मुझे दिखाने आते रहे। बीच में एक बार उसने आकर मुझे बताया कि आज कल उसके पति की हालत बहुत गंभीर है तथा वह किसी बड़े अस्पताल में भर्ती हैं । इस तरह कई महीने बीतने के उपरांत एक बार वह फिर सामने आई मुझसे मिली कुछ तकलीफों के लिए दवा लिखवाई । इस बार उसकी गोद में एक बच्ची भी थी । उसने मुझे चलते समय बताया कि उसके वे पति अब नहीं रहे ।
वह अभी भी अक्सर मुझे दिखाने आ जाती है ।उसकी गोद की बच्ची भी अब धीरे-धीरे बड़ी हो रही है । मैने अब उससे फीस लेना बंद कर दिया है । सोचता हूं दुनियाँ हर हाल में आगे बढ़ती रहती है , समय कभी किसी के लिये नहीं रुकता , जिंदगी हर हाल में गुजरती चली जाती है । ईश्वर ने नारी की रचना किसी भी परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर लेने की क्षमता में पुरुषों श्रेष्ठ बनाई है ।