मैं चाहती हूं ..एक पत्नी की आस ( करवा चौथ विशेष )
मैं चाहती हूं तुम्हारे लिए सदा
करवा चौथ का व्रत रखूं ,
और उसके प्रताप से तुम्हारी उम्र ,
सितारों जितनी लंबी हो ।
मैं चाहती हूं ,भले ही हम परस्पर
तकरार करते रहे ,
मगर कभी भी एक दूजे से जुदा ,
हम न हो ।
मैं चाहती हूं हर सुबह तुम
इसी तरह हम दोनो के लिए चाय बनाओ ,
और हम दोनो साथ हो ,
तीसरा कोई न हो ।
मैं यह चाहती हूं तुम ,
मुझे बेशक डांटो ,चिड़ाओ थोड़ी देर
के लिए गुस्सा भी करो ।
मगर नाराज़ कभी मत हो ।
मैं यह चाहती हूं की हम एक दूसरे की ,
सेहद ,खुशी ,पसंद का ख्याल रखें।
क्योंकि एक दूजे के लिए हम ही हैं ,
कोई और नहीं।
बस इसी तरह एक दूजे के लिए,
दिलों में प्यार और सम्मान हो ।
मैं चाहती हूं कि हम कहीं भी जाएं ,
कहीं की कोई यात्रा ,या बागों में सैर,
या बाजारों में खरीदारी ।
संग तुम्हारा सदा साथ हो ।
मैं चाहती हूं जीवन में तुम्हें ,
कभी किसी चीज की कमी न हो ।
दौलत ,शोहरत और अपनों का प्यार
सदा तुम्हारे पास हो ।
मैं चाहती हूं की हमारी संतान भी ,
सदा तुम्हारा हमारा सम्मान करे ।
कभी ऊंची आवाज में बात या कोई ,
जुबान दराज़ी ना करे ।
उनकी आंखों में अपने से बड़ों के लिए
सदा शर्म और लिहाज हो ।
मैं चाहती हूं मेरे प्यारे जीवन साथी!
अगर मेरा प्रेम ,तुम्हारे लिए सच्चा है ।
तो हमारे और तुम्हारे अमर प्रेम की खातिर ,
ईश्वर का वरदान इसे प्राप्त हो ।
तुम मेरे जीवन का संबल हो ,
मेरी पहचान हो ।
मेरी आशा ,विश्वास ,अधिकार ,
अभिलाषाएं और सपनें सब तुमसे है ।
संभवतः मेरा तो जीवन ही तुम हो ।