मैं चाहता था तुम्हें
मैं चाहता था तुम्हें
चाँद तक पहुंचाना
अपनी बाहों में घेरकर
गिर गया स्वप्न
फिसल कर
आँखों के फलक से
हकीकत के फ़र्श पर
फ़ना होने को
सुशील सरना /21-6-24
मैं चाहता था तुम्हें
चाँद तक पहुंचाना
अपनी बाहों में घेरकर
गिर गया स्वप्न
फिसल कर
आँखों के फलक से
हकीकत के फ़र्श पर
फ़ना होने को
सुशील सरना /21-6-24