Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jul 2018 · 1 min read

मैं चला था अकेला

मैं चला था अकेला यहीं सोच कर

??????????

मैं चला था अकेला यहीं सोच कर।
मदद तू करेगा यहीं सोच कर।

राह दुर्गम थी औ मै अकेला पथिक-
पार बेड़ा लगेगा यहीं सोच कर।

ये जहां मानता सर्वसामर्थी तुझे
भव बाधा हरेगा यहीं सोच कर।

हाथ तेरे बहुत करता सबकी मदद-
हाथ सर पे धरेगा यहीं सोच कर।

तू परमात्मा मैं हूँ अदना मनुज-
कर्म मेरा फलेगा यहीं सोच कर।

आजअपने ही अपनों को छलने लगे-
तू मुझे न छलेगा यही सोच कर।

है सुभागा सचिन मदद तुझसे मिला
सुखी जीवन रहेगा यहीं सोच कर।
*******
✍✍पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
* जिसने किए प्रयास *
* जिसने किए प्रयास *
surenderpal vaidya
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
पाश्चात्यता की होड़
पाश्चात्यता की होड़
Mukesh Kumar Sonkar
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
Phool gufran
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
Ravi Prakash
कब होगी हल ऐसी समस्या
कब होगी हल ऐसी समस्या
gurudeenverma198
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
Manisha Manjari
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
बाखुदा ये जो अदाकारी है
बाखुदा ये जो अदाकारी है
Shweta Soni
*देकर ज्ञान गुरुजी हमको जीवन में तुम तार दो*
*देकर ज्ञान गुरुजी हमको जीवन में तुम तार दो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौत से यारो किसकी यारी है
मौत से यारो किसकी यारी है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मोबाइल महात्म्य (व्यंग्य कहानी)
मोबाइल महात्म्य (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काम दो इन्हें
काम दो इन्हें
Shekhar Chandra Mitra
रिश्ते का अहसास
रिश्ते का अहसास
Paras Nath Jha
दीपावली
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रमेशराज के समसामयिक गीत
रमेशराज के समसामयिक गीत
कवि रमेशराज
फिरौती
फिरौती
Shyam Sundar Subramanian
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
सखी री आया फागुन मास
सखी री आया फागुन मास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
कुछ व्यंग्य पर बिल्कुल सच
Ram Krishan Rastogi
मुझमें मुझसा
मुझमें मुझसा
Dr fauzia Naseem shad
ज़रूरत
ज़रूरत
सतीश तिवारी 'सरस'
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए ।
चलो अब बुद्ध धाम दिखाए ।
Buddha Prakash
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Harminder Kaur
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
Loading...