“मैं चमकता सूरज हूँ”
मैं चमकता सूरज हूँ।
खो गया हूँ धुंध में,कुछ पल के लिए आज कल।
मत समझना डूब गया,दुख की घनेरी रात में।
मैं साथ हूँ विस्वास हूँ अपनों की जरुरत हूँ
मैं चमकता सूरज हूँ।
कट रहा है छ्ठ रहा है,तिमिर में फैला अंधेरा।
सो रहा था मैं कही,यूँ ही तेरी याद में।
मैं प्यार हूँ दौलत हूँ अपनों की शोहरत हूँ
मैं चमकता सूरज हूँ
सदियों से जलते आये है,इन अंधेरो के तरफदार।
सामने दीखते है अच्छे,मन में है इनके घात।
मैं सरल हूँ सजग हूँ उनके लिए जहमत हूँ
मैं चमकता सूरज हूँ
@सर्वाधिकार सुरक्षित
By
Manish Kumar Singh
Assit. Professor(B.Ed.)
S.B.P.G. College
Badlapur,Jaunpur