मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ,
ना कोई गलती किया हमने ।
जो मुझको छोड़ना चाहा ,
उसका साथ, छोड़ दिया हमने ।।
जो कोई छेड़ा है मुझको,
उसको छोड़ा नहीं मैंने ।
जो मुझसे आस लगाये हैं,
उससे मुँह मोड़ा नहीं मैंने ।।
नमकहराम नहीं हूँ,
नमकहलाली की कीमत चुकाया है ।
जिसका भला किया मैंने,
बस उसी से बुरा पाया है ।।
जो हैं लुटेरे उसे ही आजतक,
सबने अपने दिल में बसाया है ।
मेरे जैसे ही इक्के दुक्के होंगे जो,
उसे अपनों से दुर भगाया है ।।
चलो ये बातें मानी तुम्हारी,
तेरा भाई है रावण जैसा ।
तो क्या ! उसे मरवाने के लिए,
हम बन जाए विभीषण जैसा ।।
कहीं आदर्शों का पालन है,
तो कहीं आदेशों का पालन है ।
फर्क नहीं पड़ता है इससे,
कौन राम है कौन रावण है ।।
भाई हो तो भाई जैसा बनो,
भाई का फर्ज निभाओ तुम ।
लंका सोने की हो या मिट्टी की,
उसमें आग मत लगवाओ तुम ।।
रिश्ते में हो,
तो रिश्ते का फर्ज निभाओ तुम ।
दोस्त हो जो अगर तो,
दोस्ती का फर्ज निभाओ तुम ।।
मैं गलत नहीं हूँ,
ना कोई गलती किया हमने ।
अब अपनों से डर लगने लगा है, इसलिये मुझे अब,
अलग रहने का आदत पड़ने लगा है ।।
एक आवाज पर मैं,
सभी के काम आया हूँ ।
रिश्ता हो या दोस्ती,
दोनों का फर्ज निभाया हूँ ।।
फिर भी ना जाने क्यों,
सबने हमें तड़पाया है ।
मैं गलत नहीं हूँ साहब,
फिर भी, मुझे गैरों से ज्यादा अपनों ने सताया है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 18/04/2022
समय – 10 : 07 ( सुबह )