मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
हर जगह मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
जीने की खातिर मैं कुछ काम ढूंढता हूं।।
चांद सितारे सब छुपे है बदलियों में।
रातों में उठकर मैं चमकता चांद ढूंढता हूं।।
मैनें तो हमेशा ही वफा दिखाई रिश्तें में।
फिर तुमको किसने किया बदनाम पूंछता हूं।।
मुर्दा सा हो गया हूं तुमसे बिछड़ने के बाद।
तुम्हारे अन्दर कहीं मैं अपनी जान ढूंढता हूं।।
इस बार मैं इबादत की हदसे गुजर जाऊंगा।
पूरी करदे जो मुरादें मैं वो रमजान ढूंढता हूं।।
सेहरा सी हो गई है ये बेदर्द जिन्दगी मेरी।
जन्नत की खुशियां हो जहां मैं वो जहान ढूंढता हूं।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ