मैं खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था
मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
की बिंदी लगाना भूल गई थी मैं तो उसने काले पेन से टीका लगाया था
वो अक्सर दूर से ही देखता था मुझे तो सब ठीक था,
पर बात तो उस दिन बिगड़ी जिस दिन उसने सबके सामने मुझे गले लगाया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
वैसे तो बहुत सी गाड़ियां आती थी गली में मेरी
पर आफत तो उस दिन आ गई जिस दिन उसने हॉर्न बजाया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
कि अपनी ही क्लास के लड़के नजर चुरा के चलते थे मुझसे,
क्योंकि उसने उन सबको मुझे उनकी भाभी बताया था
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
और एक दोस्त का बड्डे था तो मैं ब्लैक ड्रेस में पहुँची थी,
मुझे ब्लैक कपड़ो में देख वो तुरन्त घर जाकर काला कुर्ता डाल आया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन इस कदर सजाया था,
वो अक्सर छुप-छुपकर तोहफे तो देता था मुझे,
पर मेरा दिमाग तो उस दिन घुमा जिस दिन मुझे पायल देने के चक्कर में वो अपनी साइकिल बेच आया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
अक्सर मुझे देखने के चक्कर में मार खाता था वो,
पर कयामत तो उस दिन आई जब मार खाते-खाते भी मुझे देख वो मुस्कुराया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
वैसे तो लोगों से मिलना जुलना ज्यादा पसंद नहीं है मुझे,
पर उस दिन न जाने क्यों अच्छा लगा जिस दिन उसने मुझे अपनी मां से मिलवाया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने उस दिन कुछ इस कदर सजाया था,
हम साथ रहे या ना रहे ये तो अलग बात है
हम साथ हैं या नहीं ये भी अलग बात
पर इन खूबसूरत पलों ने मुझे एक अलग ही एहसास कराया था,
और मेरी खूबसूरती को उसने हमेशा ही कुछ इस कदर सजाया था