मैं क्यों लिखता हूं
बहुत सुनने के बाद ताजमहल देखा।
4 पंक्तियों का जन्म हुआ।
आप तक पहुंचाता हूं।
मिस्टर शाहजहां एक बार फिर इस दुनिया में आओ।
अरे इस बार आगरा में नहीं ,भोपाल में अपनी महफिल जमाओ ।बनवाया होगा जमाने में तुमने ताजमहल ।
आज के जमाने में भोपाल MP नगर में दो रुम किचन बना कर दिखाओ।
आज भी मिल जाती है
स्वयं सैकड़ों मुमताज लहू में कतरा भी मोहब्बत का नहीं संगमरमर पर टिकी है सबकी नजर
ऐसे में ताज कौन मेरा बाप बनवाएं ।
जिसको जरूरत हो वह कमबख्त खुद बनवाएं।
कालूराम जी अहिरवार
ग्राम जगमेरी जिला भोपाल ब्लॉक बैरसिया।
M. 8120650431