मैं क्यों याद करूँ उनको
मैं क्यों करूँ याद उनको, मैं क्यों लिखूं चिट्ठी उनको।
करते नहीं जब याद मुझको, लिखते नहीं जब चिट्ठी मुझको।।
मैं क्यों करूँ याद उनको——————-।।
वो तो नहीं मेरे पराये, वो तो मेरा परिवार है।
गुजरा है मेरा बचपन वहाँ, वो तो मेरा संसार है।।
भूला नहीं मैं तो अभी भी, वो यादें बचपन की।
लेकिन क्यों नहीं वो आते, मिलने कभी यहाँ मुझको।।
मैं क्यों करूँ याद उनको——————।।
चाहे रहा उनसे दूर सदा, पर याद उनको करता रहा।
उनके हर दुःख में हमेशा, मैं साथ उनका देता रहा।।
सिर ऊंचा करके मैं कहता हूँ, वो मेरा घरबार है।
लेकिन क्यों नहीं वो कहते, यहाँ सभी से अपना मुझको।।
मैं क्यों करूँ याद उनको——————।।
पाप नहीं था मेरे दिल में, सच्चे मन से प्यार किया।
मुकरा नहीं मैं कभी कसमों से, मैंने जो इकरार किया।।
उनको हमेशा खुश रखने को, दुःख मैं अपना भूल गया।
लेकिन क्यों नहीं वो देते हैं, कोई खुशी कभी मुझको।।
मैं क्यों करूँ याद उनको———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ साहित्यकार
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)