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24 Aug 2023 · 1 min read

मैं क्यों पढ़ता लिखता हूं / musafir baitha

एक बड़े प्राइवेट प्रकाशक के बड़े बुद्धिजीवी चाकर ने फेसबुक पर पूछा है – “हम पढ़ते क्यों हैं?“

जहां तक मेरी बात है तो पढ़ने की मेरी भूख मेरे माता पिता के बेआखर रह जाने से शुरू हुई थी और जब स्कूली जीवन में था तो लेखक नामक प्राणी को महान मानता था।

यहां मैं पढ़ने को पढ़ने–लिखने के बतौर देखना चाहूंगा!

अब जब अधेड़ से जीवन क्षय करते हुए वृद्धावस्था की ओर बढ़ रहा हूं तो समाज का पर्याप्त अनुभव हो चुका है, ख़ुद भी ना–कद का ही सही, लेखक हूं।

लेखक पता नहीं क्यों लिखता–पढ़ता है? यह क्यों इसलिए कि अधिकतर बड़े माने जाने वाले लेखक के व्यक्तित्व और लेखन में बड़ा फांक पाता हूं, भारी दोगलापन पाता हूं।

मुझे यह समझ में नहीं आता कि लेखक दोगले आचरण पर क्यों होते हैं?

मैं तो अपने लेखन और जीवन में अंतर नहीं करता।

किसी को मुझमें दोगलापन लगता है तो बताए। वादा करता हूं कि अन्यथा न लूंगा, बुरा न मानूंगा।

मैं ऐसे लेखकों को पढ़ना चाहता हूं जो अपने लेखन और व्यवहार से दोगला न साबित होता हो और वैज्ञानिक सोच का हो, जीवन और लेखन दोनों में, वैज्ञानिक सोच से भरसक एक इंच भी न डिगता हो।

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