“मैं क्यों कहूँ मेरी लेखनी तुम पढ़ो”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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मैं क्यों कहूँ
मेरी लेखनी तुम पढ़ो
मैं क्यों कहूँ
मेरा गीत तुम सुनो
हो सकता है
आपको अच्छा ना लगे
मेरी भाषा ही
आपको सरस ना लगे
वैसे तो मैं
रिझाना जानता हूँ
लोगों को भी
भरमाना जानता हूँ
यह बातें तो
नेताओं से सीखा है
मैंने भी कई
फेकूओं को देखा है
कहने को मैं
भी कवि कहलाता हूँ
झूठी कविता
ही लिखता रहता हूँ
जब झूठ यहाँ
पर सिर्फ बिकता है
कुछ ना करके
गुणगान सदा करता है
कवि की कविता
भला निर्मल कैसे होगी
वैसी ही सूरत
की धुँधली तस्वीर बनेगी
मैं क्यों कहूँ
मेरी लेखनी तुम पढ़ो
मैं क्यों कहूँ
मेरा गीत तुम सुनो
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
21.12.2022