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5 Nov 2019 · 1 min read

मैं क्या चाहता हूं।

ना मैं हुस्न की अंजुमन चाहता हूं,
ना मैं धन दौलत,ना दुल्हन चाहता हूं,
ना मैं चांद जैसा बदन चाहता हूं,
ना मैं रोशनी की समा चाहता हूं,
ना दोस्ती, ना रिश्ते, ना सनम चाहता हूं,
ना हीं रहने को आलीशान भवन चाहता हूं,
ना मैं श्रवन सा लल्लन चाहता हूं,
नाम है शहंशाह सा शोहरत चाहता हूं,
ना ही राजा सा मै रुतबा चाहता हूं,
और ना मैं गुल और ना गुलबदन चाहता हूं।

खुदा मैं तो यही वतन चाहता हूं,
हर एक जन्म में यह चमन चाहता हूं,
तिरंगा ही हरदम कफन चाहता हूं,
गर जिंदगी दोबारा मुझे भी मिले तो,
मै इसी वतन में जन्म चाहता हूं,
खुदा मैं तो यही वचन चाहता हूं,
बस खुदा मैं तो यही कर्म चाहता हूं,
बस खुदा मैं तो यही कर्म चाहता हूं।

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