मैं क्या करूं ?
सड़को पर तुम ही देख लो,
बयां क्या करूं ।
मर रहे है लोग,
मैं चुपचाप क्या करूं ।
मजबूरी हो गई है अब,
कि हकीकत बयां करूं।
हवाओं में उलझ गई सांसे,
तुम्हारे झूठे वादे का क्या करूं।
सबकुछ लुट गया,
अब मैं नया क्या करूं।
वो हमदर्दी की बाते झूठी,
और हमदर्दी की बातें क्या करूं।
सब के सब झूठे निकले,
मैं क्या करूं ।।
@निल