मैं कौन हूं
मैं कौन हूं कहां हूं
कौन इसे जान पाया है
दिन हो या रात हो
खुद को खुद में मदहोश पाया है
मेरा अस्तित्व क्या है
किस से मेरा अस्तित्व जुड़ा है
कौन इसे जान पाया है
वही ब्रह्माया है
कैसा तेरा रूप है
कैसी तेरी काया
देख तुझे आज मैं
खुद जानने आया
चाहत तेरी ऐसी है
कोई जान ना पाया
इस मोह माया के चुंगल में
तूने ऐसा फसाया
देख
तेरे रचे चक्रव्यूह में
मैं आज खुद खड़ा हूं
जीने की चाह लिए
इसमें खूब रमा हूं
जीने की चाहत लिए
इसमें खूब रमा हूं