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19 May 2023 · 1 min read

1. मैं कैसे भुला दूँ !

गुज़रे दिनों का वो ज़माना मैं कैसे भुला दूँ ।
ज़िन्दगी का अहम् फ़साना मैं कैसे भुला दूँ ।।

तेरा वो चहकना, फूलों सा हरपल महकना ।
यूँ मेरे दिल में तेरा उतरना मैं कैसे भुला दूँ ।।

तरसता था हर पल जो वास्ते दीदार के तेरे ।
हुस्न-ए-रुख़सार निहारना मैं कैसे भुला दूँ ।।

होती थी जिस से मेरी हर सुबह जो रौशन ।
फूलों सा तेरा वो मुस्कुराना मैं कैसे भुला दूँ ।।

तेरी बातों के जादू ने किया मुझे बेकाबू ऐसा ।
तेरी कोयल सा वो कू-कूहाना मैं कैसे भुला दूँ ।।

घटा बन के जो छा जाती मेरे वादी-ए-सूरत पे ।
इतराती ज़ुल्फ़ों का वो नज़राना मैं कैसे भुला दूँ ।।

कसमें खायी थी साथ निभाने का तू ने उम्र भर ।
इस वादे से तेरा यूँ मुकर जाना मैं कैसे भुला दूँ ।।

तू ने मरहम भी लगाया तो काँटों के नोक से ।
मेरे ज़ख्मों का ऐसा इलाज़ मैं कैसे भुला दूँ ।।

मो• एहतेशाम अहमद,
अण्डाल, पश्चिम बंगाल, इंडिया

Language: Hindi
167 Views
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