बूढ़ा बरगद खिन्न है,कैसे करुँ मैं छाँह बूढ़ा बरगद खिन्न है, कैसे करलूँ छाँह l अपनों ने ही काट दी, मेरी सारी बाँह।। रमेश शर्मा