मैं कुशल गृहणी नहीं हूँ
आज सुबह से ही पता नहीं क्यों अजीब सा आलस आ रहा है।सुबह 6:30 का अलार्म बजा पर आज तो बेटे की छुट्टी है, पति की भी छुट्टी है ,तो अलार्म बन्द करके फिर सो गई ,अभी 10 मिनट ही हुए की मम्मी का फोन आ गया मेरी अलसाई आवाज सुनकर बोली “अब तक सो रही हो”,
“मेने कहा आज छुटटी है ।
“तो क्या सोती ही रहोगी,सब उठे उससे पहले काम निपटा लो,दोपहर में सो जाना, देर तक सोना अच्छी गृहणी के लक्षण नहीं है।”
इतनी डांट खा कर नींद ही उड़ गई,उठ के पहले चाय बना कर बालकनी में बैठ गई, उगते सूरज की लालिमा से सराबोर आकाश और करलव करते पंछियों को रोज की भागदौड़ में देख ही नहीं पाते।
फिर उठ कर झाड़ू लगा कर dustbin बाहर रखने गई तो पड़ोसन की सास बोली ,”आज बड़ी देर करदी बासी झाड़ू निकलने में ”
मेने कहा “जी वो चाय पीने बैठ गई तो देर हो गई।”
“हाय राम,बासी घर में चाय पिली तुमने, अरे बेटी बासी झाड़ू लगा कर रसोई शुरू किया करना चाहिए तभी बरकत होती हैं यही कुशल गृहणी का लक्षण है।”
अब आँटी से तो क्या कहती,चुपचाप अंदर आगई।बाकी काम निपटाया,नहाने जा रही थी कि छोटी बेटी जाग गई उसका दूध गर्म किया,दलिया चढ़ाया,पति उठ गए तो उनकी चाय बनाई इसी बीच,नाश्ते की तैयारी, बड़े बेटे ने दूध गिरा दिया तो साफ किया, फिर सोचा नाश्ता बना ही दूँ ।उस समय बड़ी ननद का फ़ोन आगया बाते करते हुए नाश्ता बनाती जा रही थी ,तोऔर देर हो गई लगभग 11 बज गए पर नहाने का महूर्त नहीं आया,छुटटी के दिन फोन भी परेशान कर देते हैं लेकिन उसी दिन ही तो सबके पास थोड़ा समय होता है बात करने का।
मोबाइल फिर बजा सासुजी का वीडियो कॉल था,बच्चों को देखकर बातें करने का मौका भी तो इसी दिन मिलता है, मेने फ़ोन उठाया प्रणाम किया, आशीर्वाद के बाद बम विस्फोट हुआ” ये क्या अभी तक नाइटी में घूम रही हो, देर तक सोते रहो,देर से नहाओ ,ये लक्षण मुझे बिलकुल पसंद नहीं है तुम्हारे।
मेने कहा” माँ, कब से उठी हुई हूँ सारा काम भी हो गया नाश्ता भी बन गया,बस नहाने ही जा रही थी”
“क्या बिना नहाये नाश्ता भी बना दिया, सुबह की पूजा भी नहीं की होगी,हद है बहु तुम्हारे आलसीपन की,अच्छी गृहणी का एक भी लक्षण नहीं है तुम्हारे पास,खैर छोड़ो तुम्हें समझाने से कोई फायदा नहीं 7 साल हो गए समझाते हुए,बच्चों से बात करवाओ।”
मेने फ़ोन बेटे को दिया और चुपचाप बाथरूम में चली गई।वहां सीसे के सामने खड़ी हुई सोचने लगी क्या सही में मैं अच्छी गृहणी नहीं हूं।क्या वक़्त पर काम नहीं हो तो आप अच्छी गृहणी नही होती। इतना छोटा पैमाना है एक गृहणी को मापने का।
सब जानते हैं कि बच्चों को सम्भलते हुए काम करना बड़ा मुश्किल होता है इसलिए तो मेने पूजा का कोई समय नहीं बांधा जब भी फ़्री होती हूँ कर लेती हूं, आखिर भगवान को भी पता है मेरी व्यस्तता का वो बुरा नहीं मानते,,मैं बच्ची को रुला कर काम नहीं कर सकती, मेरे लिए झाड़ू लगाने से ज्यादा ज़रूरी मेरे पति और बच्चों का नाश्ता बनाना है,फ़िजूल के नियमों के लिए अभी समय नही है मेरे पास, बच्चों की देखभाल ज्यादा ज़रूरी है ,एक बार कुशल माँ तो बन जाऊं, बच्चे सम्भल जाएं तब बन जाएंगे कुशल गृहणी ।
मन खराब हो गया था लेकिन छुटटी खराब नहीं करनी थी सो सारा तनाव फ्लश करके बाहर निकली ,सबको खमण बहुत पसंद आया, उसके बाद मेरे हाथों का पाइनएप्पल श्रीखंड खा कर पति ने कहा “वाकई तुम कमाल हो।”बड़े जादुई शब्द थे वो पति सन्तुष्ट है ,बच्चे खुश है,मैं भी बहुत खुश हूं ,तो हुई ना मैं भी कुशल गृहणी।
तो क्या हुआ जो आज देर तक सोई,तो क्या हुआ जो झाड़ू देर से लगाया,तो क्या हुआ जो बिना नहाये खाना बना दिया, तो क्या हुआ जो पूजा में देर हो गई ,तो क्या हुआ जो कपड़ो को तह नही लगाई, तो क्या हुआ जो सिंक में बर्तन पड़े हैं तो क्या हुआ जगह जगह खिलौने बिखरे पड़े हैं।जब मेरे बच्चे पति और मैं खुश हैं, तो अभी इस प्रश्न के मायने ही नहीं है कि मैं एक अच्छी गृहणी हूँ या नहीं ।
सिर्फ समय से उठना, टाइम टेबल से काम का हिसाब करना और बस रोबोट की तरह चलते रहना ,,,क्या यही पैमाना है एक पत्नी माँ या गृहणी को आँकने का,
तो माफ़ कीजिए मैं कुशल गृहणी नहीं हूँ।