!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
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मेरी नजरें कातिल हो सकती है पर मैं कातिल नहीं हूं समझों।
मेरी बातें बुरी लग सकती है पर मैं बुरा नहीं हूं समझों।।
एक आईना से तुम क्या अपेक्षा रखते हो?
अरे उसे जो दिखेगा वही ना दिखाएगा।
किसी को काला से गोरा,
गोरा से काला तो नहीं ना बनाएगा।।
उस एक आईना को तोड़कर तुम क्या चाहते हो?
कि उसे विखंडित कर दूंगा।
तो यह तुम्हारे भूल है,
क्योंकि जब तुम एक आईने से इतने परेशान हो।
तो समझो कि एक आईना सौ टुकड़ों में टुटकर भी,
वहीं दिखाएगा जो उसे दिखता है।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।