मैं कविता हूँ
मैं कविता हूँ।
(विश्व कविता दिवस पर )
मीरा की भक्ति हूँ मैं,
रसखान का वात्सल्य हूँ।
सूर की साहित्य हूँ मैं,
दिनकर की सविता हूँ।
मैं कविता हूँ।
सबकी दुःख दर्द हूँ मैं,
गमों की मैं साथी हूँ।
बसन्त की आहट हूँ मैं,
ऋतु शरद की नमिता हूँ।
मैं कविता हूँ।
प्रभा किरण सी आस हूँ मैं,
तम में जुगनू खास हूँ।
सागर लहरों सी उठती मैं,
तारों की मैं गणिता हूँ।
मैं कविता हूँ।
प्रेम की पुजारन हूँ मैं,
विषादों की मल्लिका हूँ।
दर्द में भी हास्य हूँ मैं,
मातृ गोद की बबिता हूँ।
मैं कविता हूँ।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.