*मैं और मेरी तन्हाई*
ले लिया आगोश में उसने मुझे
तुम होती तो कुछ और बात होती
कश के जकड़ा था उसने मुझे
तुम बाहों में होती तो कुछ और बात होती
मैं नशे में झूमा गिरा लड़खड़ाया
तुम थाम लेती तो कुछ और बात होती
उसने छुआ इस कदर
मेरे लबों को तुम छूती तो कुछ और बात होती
वो पलकें झुकाकर शरमा रही
मेरे तकिये पर तू आँसू बहाती तो कुछ और बात होती
गम है क्या मुझे जो पी रहा हूँ
तू हाला होती तो कुछ और बात होती
घर जल रहा मेरे सपनों का
तुम बरसात की बूंद होती तो कुछ और बात होती
आ बैठ तुझे मैं दिखा दूँ बेइन्तहां प्यार
मुझ पर लुटाती तो कुछ और बात होती
यूँ तो सीने पे सिर टिकाये सोता रहता
तेरे दिल में मेरी तस्वीर होती तो कुछ और बात होती
दूर कहीं तुझसे छोटा सा आसिया है मेरा
तू साथ होती तो कुछ और बात होती ।।
भवानी सिंह “भूधर”