मैं और मेरी तन्हाई
तुम्हें सोचकर रातें अपनी तमाम काटती हूं
मैं और मेरी तन्हाई तेरी ही बातें किया करती है
तेरी गैरमौजूदगी में तेरी तस्वीर को निहारती रहती हूं
मैं और मेरी तन्हाई तेरे ही अक्श को ढूंढा करती है
आंखें बंद कर एक तुझे ही सोचती रहती हूं
मैं और मेरी तन्हाई बेहिसाब तुझसे प्यार करती है।
– सुमन मीना (अदिति)