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14 Dec 2017 · 1 min read

मैं और तुम

मैं और तुम
// दिनेश एल० “जैहिंद”

हाथ जोड़के मैं तेरी मिन्नतें करूँ ।।
तुम चाहो तो मैं तेरी पईंया पड़ू ।।
देकर माफी मुझे गले से लगा लो,,
अब ना कभी फिर मैं तुझसे लड़ू ।।

तुम रूठो प्रीतम मैं मनाता रहूँ ।।
जाओ तुम दूर मैं पास आता रहूँ ।।
तुमको मनाना, तेरे पास आना,,
भौरों-सा चक्कर तेरा काटता रहूँ ।।

रूठके गजब भोली लगती हो ।।
गुस्से में तुम रंगोली लगती हो ।।
दिल कहता है बाँहों में भर लूँ ,,
फूलों की तुम टोली लगती हो ।।

तुम जनमों की मेरी प्यास हो ।।
सच कहूँ तुम मेरी एहसास हो ।।
तुम मेरी रानी मैं तेरा दास हूँ,,
तुम ही धरती, मेरी आकाश हो ।।

=============
दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 11. 2017

Language: Hindi
407 Views
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