मैं औरत हूँ
मैं औरत हूँ
रेशम सी मुलायम कभी
मोह के धागों में लिपटी
मख़मल सी नरम कभी
लजायी बाहों में सिमटी
पानी सी सरल कभी
जिधर कहो बह जाऊँगी
लहरों सी उत्ताल कभी
बांधा तो बहा ले जाऊँगी
मैं औरत हूँ
रेखा
१४.०९.२०
मैं औरत हूँ
रेशम सी मुलायम कभी
मोह के धागों में लिपटी
मख़मल सी नरम कभी
लजायी बाहों में सिमटी
पानी सी सरल कभी
जिधर कहो बह जाऊँगी
लहरों सी उत्ताल कभी
बांधा तो बहा ले जाऊँगी
मैं औरत हूँ
रेखा
१४.०९.२०