मैं एक शब्द हूँ , माँ शब्दों की भाषा है
क्या लिखूं माँ आपके लिए सत्य तो
ये है कि आपने मुझे लिखा है……
आपके लिए …….
समर्पित……
मैं एक शब्द हूँ ,
माँ शब्दों की भाषा है
मैं कुंठित हूँ ,
वह एक अभिलाषा है
बस केवल यही
माँ की परिभाषा है.
मैं छंद हूँ ,
वह कविता है.
मैं गीत तो,
भाव मेरी माँ है
मेरे जीवन की तो केवल,
मेरी माँ ही रचयिता है
मैं समुंदर का हूँ तेज ,
तो वह झरनों का निर्मल स्वर है
मैं एक शूल हूँ,,
तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर है
मैं पाहन हूँ,
वह कंचन की कृनीका है
मैं लव कुश
तो वह सीता है
मैं राजा तो,
वह राज है,
मैं मस्तक तो,
वह ताज है
माँ ही सरस्वती का उद्गम है ,
रणचंडी और नासा है.
‘दीप’ एक शब्द है ,
माँ ही ‘दीप’ की भाषा है.
बस यही माँ की परिभाषा
-जारी