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23 Aug 2023 · 1 min read

मैं एक खिलौना हूं…

….. मैं एक खिलौना हूं…

चाभी से चलने वाला एक खिलौना हूं
किसी की खुशियों की खातिर
घूमनेवाला खिलौना हूं
मैं एक खिलौना हूं……

मैं ,इंसानों सा जीनेवाला नही
मेरा कोई जीवन नही
रिवाजों के सांचे मे कैद हूं
संस्कारों की सीख का पुतला हूं
अच्छाई या बुराई का मुहूर्त नही मैं
मैं सिर्फ बाजारू खिलौना हूं
हां,में एक खिलौना हूं
चाभी से चलने वाला हूं….

मैं,पत्थर सा बेजान हूं
फूल सी खुशबू नही मुझमें
मैं कोई आसमान नही
सपनों को छू सकूं ,वह इंसान नही
मैं पहुंच सकूं ,ऐसा कोई अरमान नही
मैं ,एक खिलौना हूं
चाभी से चलने वाला हूं….

मैं धूप मे तपा
बर्फ की ढलान पर खड़ा
खुशियों से फासला रखनेवाला
बस ,एक खिलौना हूं
चाभी से चलनेवाला हूं
मैं ,एक खिलौना हूं
मैं बस,एक खिलौना हूं…..
…………………..
नौशाबा,महाराष्ट्र ,सिंदी (रे )

Tag: Poem
1 Like · 215 Views

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