मैं उनको नहीं रंग सकी
मैं उनको नहीं रंग सकी
यह रह गया मलाल।
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होली के हुडदंग में।
ह्वै गए लालहिं लाल।।
बंदर जैसे लग रहे।
आज सभी के गाल।।
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भर भरके पिचकारियां।
कर रहे भागमभाग।।
गली गली के मोड़ पर।
बैठे जैसे काग।।
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मन की करते फिर रहे।
द्वारे द्वारे लोग।।
मैं सहमी सहमी फिरुं।
सह नहीं सकूं वियोग।।
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होली के त्योहार पर।
साजन है परदेश।।
इतने निष्ठुर वे भए।
भेजा ना संदेश।।
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मेरे मन की क्या कहूँ।
कैसे करूँ संभाल।।
मैं उनको नहीं रंग सकी।
यह रह गया मलाल।।
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✍?रामबाबू ज्योति