मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
मैं इक रोज़ जब सुबह सुबह उठूं
मुझे तुम याद न रहो
तुम्हारी यादें इतनी धुँधली हो जाये
वो सफेद बर्फ से ढक जाये
वहाँ सूरज की रौशनी पहुंच न पाये
नहीं ऐसा नहीं होगा
इक दिन सूरज आयेगा
उस बर्फ की चादर तक भी पहुँच जायेगा
तुम उसे दिख जाओगे
पर तुम उसका तेज न सह पाओगे
तुम बर्फ से पानी बन जाओगे
और भाप बनकर उड़ जाओगे