मैं आदमी असरदार हूं – हरवंश हृदय
मैं आदमी असरदार हूं
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मुझको नहीं फिकर कोई
न जीत की न हार की
बस एक ही डगर चला
सेवा समर्पण प्यार की
छल छिद्र कपट से परे
मुश्किलों से बिना डरे
टकराने को तैयार हूं….!
मैं आदमी असरदार हूं…!!
विश्वास की दीवार पर
कील बनाकर ठोक दो
अधर्म अन्याय के विरुद्ध
अग्नि पथ पर झोंक दो
परहित के काम पर
मित्रता के नाम पर
मिट जाने को तैयार हूं….!
मैं आदमी असरदार हूं…!!
शक्ति से अविजित हूं मैं
प्रेम के प्रति नत मस्तक
अहंकार को काट डालूं
जो स्वाभिमान पर दे दस्तक
मृग की मरीचिका में
युद्ध की विभीषिका में
मैं संधि की गुहार हूं….!
मैं आदमी असरदार हूं…!!
कुछ बने फिरते थे सगे
मौके पर दगा कर गए
बेशक मैं नींद में ही था
वो मुझको जगा कर गए
है रिक्त हृदय का पन्ना
रहता अब मैं चौकन्ना
हर दफा हर बार हूं….!
मैं आदमी असरदार हूं…!!
क्यूं भला चिंता करूं मैं
काल के कराल की
मेरे ललाट पर तिलक है
चरण रज महाकाल की
हारे के सहारे पर
बाबा तेरे द्वारे पर
मैं याचना पुकार हूं….!
मैं आदमी असरदार हूं…!!
✍️….. हरवंश हृदय
बांदा
9451091578