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11 Feb 2021 · 1 min read

मैं आज किसी और को

मैं आज किसी और को पटा लूँगा
उसका नाम लब पर भी रटा लूँगा

उसकी गोद मे बैठकर के सुन ले
उसकी जुल्फो की अब घटा लूँगा

तूने क्या सोचा खूबसूरत हो तुम
तुम्हारे ही चेहरे की मै छटा लूँगा

चलाकर के इनफील्ड अपनी मैं
सीट पर उसको पीछे बिठा लूँगा

तुमने छोड़ दिया जब साथ मेरा
मैं सीने से तुझको भी हटा लूँगा

तेरे जैसे घूमते है अधूरे प्यार कई
मैं अंधा नहीं कोई भी सटा लूँगा

तू एक खोटे सिक्के जैसे यार है
अंधा नहीं हूँ जो नोट फटा लूँगा

अशोक सपड़ा

1 Like · 2 Comments · 291 Views
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