मैं आज किसी और को
मैं आज किसी और को पटा लूँगा
उसका नाम लब पर भी रटा लूँगा
उसकी गोद मे बैठकर के सुन ले
उसकी जुल्फो की अब घटा लूँगा
तूने क्या सोचा खूबसूरत हो तुम
तुम्हारे ही चेहरे की मै छटा लूँगा
चलाकर के इनफील्ड अपनी मैं
सीट पर उसको पीछे बिठा लूँगा
तुमने छोड़ दिया जब साथ मेरा
मैं सीने से तुझको भी हटा लूँगा
तेरे जैसे घूमते है अधूरे प्यार कई
मैं अंधा नहीं कोई भी सटा लूँगा
तू एक खोटे सिक्के जैसे यार है
अंधा नहीं हूँ जो नोट फटा लूँगा
अशोक सपड़ा