मैं आजाद होना चाहता हूँ|
दो घड़ी के लिए ही सही,
मैं आजाद होना चाहता हूँ!
सपनो से भरी हुई अपनी इक दुनिया में,
मैं कुछ पल जीना चाहता हूँ!!
बैठकर कहीं दूर इक समंदर के किनारे,
मैं खुद में ही कहीं खोना चाहता हूँ!!!
थक गया हूँ मैं अब इस जिस्म की कैद में रहकर,
मैं इस भीड़ से दूर कहीं जाकर सोना चाहता हूँ!!!!
हाँ दो घड़ी के लिए ही सही,
मैं आजाद होना चाहता हूँ…………….!