मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ
अफ़सोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ
अफ़सोस है मैं…………..…..
मैने संकल्प लिया था, गरीबी को मिटाने का
पर अफ़सोस न तो झुग्गी झोंपड़ियाँ कम हुई
ना ही भूखों को दो वक्त की रोटी नसीब हुई
अफ़सोस है मैं……………….
मैने सपना देखा था, बेरोजगारी मिटाने का
पर अफ़सोस ना तो यह बेरोजगारी कम हुई
ना ही आज तक युवा को रोजी नसीब हुई
अफ़सोस है मैं…………………
मैने ख्वाब संजोया था, भाईचारे सौहार्द का
मगर अफ़सोस ना तो ये भेद भावना कम हुई
ना ही यहाँ संकीर्णता से आजादी नसीब हुई
अफ़सोस है मैं………………….
मैने निश्चय किया था, लोकतांत्रिक देश का
मगर अफ़सोस ना चुनाव में धांधली कम हुई
ना आज तक वोट की किमत ही नसीब हुई
अफ़सोस है मैं………………….
मैने वायदा किया था, खुशहाली लाने का
मगर अफ़सोस ना तो ये भागमदौड़ कम हुई
और ना ही’विनोद’सबको खुशी नसीब हुई
अफ़सोस है मैं…………………..
अफ़सोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ
अफ़सोस है मैं……………………
स्वरचित:——-
दिल के भाव
( विनोद चौहान )