“मैं आग चुनुंगी”
तुम ख्वाब चुनो,
मैं आग चुनुंगी,
देश की खातिर,
मिट्टी पर बलिदान चुनुंगी,
तुम अर्थ चुनो,
मैं मूल्य चुनुंगी,
बच्चों की खातिर,
शिक्षा का अधिकार चुनुंगी,
तुम रात चुनों,
मैं प्रात चुनुंगी,
समाज की खातिर,
स्व का निर्वाण चुनुंगी,
तुम राग चुनों ,
मैं राख चुनुंगी,
जग भूले तो भूले,
कैसे भूल जाऊँ मैं,
क्या है शिक्षक ,
और है क्या उसकी मर्यादा,
रोक सको तो रोक लो,
अब न रुकने वाली मैं,
तुम श्राप चुनों।
मैं वरदान चुनुंगी,
भारत की खातिर,
शिक्षक का सम्मान चुनुंगी,
तुम ख्वाब चुनो ,
मैं आग चुनुंगी…
-©निधि…