मैं अहंकार
मैं हूं अहंकार ,
मुझसे न कभी कोई जीत सका ।
मैं जिसमें समाया ,
वोह किसी का न फिर हो सका ।
मैं ही मैं हूं बस !
दूसरा कोई कुछ नहीं ।
मैं दिमाग में आया तो ,
स्वयं को श्रेष्ठ समझने लग गया ।
मैं जब दिल में आया तो ,
रिश्तों को दौलत से तौलना लग गया ।
अरे ! मैने तो खानदान के खानदान तबाह कर दिए ,
कौरव पांडव के बीच छिड़ा युद्ध इसका उदाहरण है ।
मैने बड़े बुजुर्गों का अपमान किया ।
मैने ही एक सती नारी का भी घोर अपमान किया ।
इतिहास और पुराण गवाह के मेरी सत्ता के ।
और मैं अब भी नहीं गया ,कहीं नहीं गया ,
जब मैं सतयुग ,त्रेता और द्वापर में नहीं मरा ,
तो कलयुग में क्या मरूंगा !
मैं हमेशा जीवित रहूंगा मनुष्य जीवन के साथ ,
और उसके बाद भी।
हां ! ईश्वर यदि चाहे तो मुझे मार सकता है ।
मगर इस कलयुग में ! ईश्वर !
नहीं मार सकता मुझे ।
मैं मनुष्य के रोम रोम में समाहित हूं ।
मुझे न कोई इस जगत में नष्ट कोई कर सका ।