मैं अनमोल हो गया हूँ
पल भर झलक दिखा गुलशन के सब महताब खरीद लिए हैं।
बेला, चम्पा और चमेली, सभी गुलाब खरीद लिए हैं।
सिवा तुम्हारे मेरी आँखें देखें भी तो क्या देखें?
सपनों के सौदागर तुमने मेरे ख्वाब खरीद लिए हैं।
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तारीफों के गहने तन पर डाँवाडोल हो गया हूँ।
मैं तो पूनम की रंगत से भरा खगोल हो गया हूँ।
अपना मोल पता करने को हाट खंगाले तब जाना,
शर्मिंदा हैं दौलतखाने मैं अनमोल हो गया हूँ।
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संजय नारायण