मैंने सपना देखा है
मैने सपना देखा है ‘अर्श’ ऐसे अतुल्य भारत का
जहाँ जाति धर्म की दीवार न हो
जहाँ रिश्तों का व्यापार न हो
जहाँ अभिव्यक्ति की आजादी हो
मगर भावनाओं से खिलवाड़ न हो
मैने सपना ……
जहाँ हर एक तन-मन में शुद्धता हो
जहाँ हर एक आँगन में स्वच्छता हो
जहाँ हर दिल में सहयोग की भावना हो
जहाँ रत्ती भर भी भ्रष्टाचार न हो
मैने सपना …….
जहाँ भाषा में कोमलता हो
जहाँ द्वन्द्ध-द्वेष न चलता हो
जहाँ हर वस्ती में सौहार्द हो
जहाँ झगड़ों की हाहाकार न हो
मैने सपना …….
जहाँ पुरूषत्व का अभिमान न हो
जहाँ नारी का अपमान न हो
जहाँ बहू और बेटी बराबर हो
जहाँ दहेज का अत्याचार न हो
मैने सपना …….
जहाँ हिन्दू-मुस्लिम एक ही आँगन में हों
जहाँ मन्दिर-मस्जिद एक ही प्राँगण में हों
दिल से दिल मिल जायें ईद और दीवाली में
जिसमें दिल न मिलें ऐसा कोई त्यौहार न हो
मैने सपना देखा है ‘अर्श’ ऐसे अतुल्य भारत का